THE BEST SIDE OF SHIV CHAISA

The best Side of Shiv chaisa

The best Side of Shiv chaisa

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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

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Devotees who chant these verses with powerful love develop into prosperous by the grace of Lord Shiva. Even the childless wishing to acquire young children, have their desires fulfilled right after partaking of Shiva-prasad with religion and devotion.

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा

अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।

शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल – कन्या – वरं, परमरम्यं ।

अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल shiv chalisa in hindi से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।

पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा

तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी ।

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

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